टाटा संस के चैयरमैन एवं वरिष्ठ उद्योगपति रतन नवल टाटा जी का निधन 9 अक्टूबर 2024 को मुम्बई में हो गया। उनकी उम्र 86 वर्ष थी उम्र सम्बन्धी दुर्बलता एवं बिमारियों के चलते वे कुछ दिन से मुम्बई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के ICU में भर्ती थे। रतन टाटा जी एक असाधारण व्यक्ति थे। उनका निधन भारत के लिए बहुत बड़ी क्षति एवं दुखद है। रतन टाटा जी सभी के लिए मार्गदर्शक एवं प्रेरणादायक व्यक्ति है।
पद्म विभूषण एवं पद्म भूषण से सम्मानित रतन टाटा जी का मानना था। कि उघोग या बिजनेस केवल लाभ कमाने के लिए नहीं होते , बल्कि इससे समाज का कल्याण किया जाना चाहिए। रतन टाटा जी टाटा समूह के 65 प्रतिशत शेयर विभिन्न ट्रस्टों के माध्यम से समाज सेवा एवं कल्याण के कार्यो के लिए जैसे शिक्षा , स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास के लिए प्रयोग किये जाते हैं। रतन टाटा उद्योगपति बिजनेसमैन के साथ-साथ व्यक्तिगत रूप से एक बहुत बड़े समाज सेवी व्यक्ति थे।
रतन टाटा जी की जीवनी -
बचपन एवं शिक्षा-
रतन नवल टाटा जी का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उनके पिता का नाम नवल टाटा एवं माता का नाम सोनी टाटा था। 10 वर्ष की उम्र में रतन टाटा के माता-पिता अलग हो गये। जिसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी दादी नवाज बाई टाटा ने किया । उनकी प्राम्भिक शिक्षा मुम्बई के कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल से हुई। उन्होंने अमेरिका के कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड बिजनिस स्कूल से एडवास मैनेजमेन्ट प्रोग्राम पूर्ण किया।
रतन टाटा जी टाटा संस के अध्यक्ष बने-
रतन टाटा 1962 में टाटा संस समूह से जुड़े शुरूआत में उन्होंने कम्पंनी के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया एवं टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट में जमीन स्तर पर काम किया । यहां उन्होंने कम्पनी के निम्न से उच्च स्तर के कार्यो को जाना। सन् 1991 वें में टाटा संस के अध्यक्ष जेआरडी टाटा ने इस्तीफा दिया एवं रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया । कंपनी के अध्यक्ष बनने पर उन्हें विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ा। अपने 21 वर्ष के कार्य काल के दौरान कंपनी का राजस्व 40 गुणा से अधिक तथा लाभ 50 गुणा से अधिक बढ़ा। उन्होंने कंपनी के विकास लिए कई अधिग्रहण किये जिसमें सन् 2000 में टाटा टी में टेटली , 2004 में टाटा स्टील में डाओ कोरस , 2008 में टाटा मोटर्स में जेगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण प्रमुख है। इस अधिग्रहण से टाटा संस ने अंतर राष्ट्रीय बाजार में अपनी बड़ी पहचान बनाई।रतन टाटा जी ने अपने योगदान से टाटा संस को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया।
रतन नवल टाटा जी का एक मुख्य प्रोजेक्ट टाटा नैनो था। जिसे 2008 में लॉन्च किया गया । इस प्राजेक्ट का मुख्य उद्देश्य भारतीय सामान्य वर्ग के परिवार को सामान्य वजट में कार उपलब्ध कराना था। यह प्रोजेक्ट व्यवसायिक स्तर पर पूरी तरह से सफल नही हो पाया लेकिन रतन नवल टाटा जी को गरीब एवं सामान्य लोगों के प्रति कल्याणकारी सोच सराहनीय है।टाटा इंडिका भारत की पहली स्वदेशी कार थी जिसे रतन टाटा 1998 में लॉन्च किया। इसके माध्यम से टाटा मोटर्स प्रमुख भारतीय कम्पनी के रूप में स्थापित हुई।
सम्मान एवं पुरस्कार-
रतन नवल टाटा को उनके कार्य एवं योगदान के लिए कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। सन् 2000 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण एवं 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। जो भारत का तीसरा दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
परोपकार एवं समाजसेवा-
रतन नवल टाटा जी एक सफल उद्योगपति होने के साथ-साथ परोपकारी व्यक्ति थे। उनका उद्देश्य व्यापार से लाभ कमाना नहीं बल्कि समाज के हित में कार्य करना था। 2010 में रतन नवल टाटा जी ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल को 50 मिलियन डॉलर का दान दिया। जो कि स्कूल के इतिहास में सबसे बड़ा व्यक्तिगत दान था। 2014 में टाटा समूह ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे को 950 मीलियन का दान दिया जिससे भारतीय प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिले एवं छात्रों को शिक्षा के नये अवसर मिले। यह अनुदान इसके इतिहास का सबसे बड़ा दान था।कोविड-19 महामारी में रतन टाटा जी ने टाटा ट्रस्ट के माध्यम से 500 करोड़ का दान दिया । इसका उद्देश्य देश में स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना था। रतन नवल टाटा जी ने ग्रामीण विकास, जल संरक्षण पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य उधमियता , महिला एवं वंचित समुदायों के कल्याण के लिए कई कार्य किये।
रतन टाटा जी का निधन -
रतन नवल टाटा जी कुछ समय से उम्र सम्बन्धी बीमारी की वजह से मुम्बई की ब्रीच कैंड अस्पताल में भर्ती थे। इलाज के दौरान 9 अक्टूबर 2024 को रात लगभग 11 बजे उन्होंने अंतिम सॉंस ली। उनका निधन भारत के लिए बहुत बड़ी क्षति हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेता, उद्योगपति एवं दिग्गजों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।