इस लेख में हम आपको महात्मा गांधी जी का जीवन परिचय एंव महात्मा गांधी जी के सिद्धान्त एंव संघर्ष के बारे मे बताएंगे। गांधी जी ऐसे महापुरूष थे जिन्होने भारत की स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष के साथ-साथ पूरे विश्व को अहिंसा और सत्य का संदेश दिया। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उन्हें राष्ट्रपिता एवं बापू के नाम से भी जाना जाता है। गांधी जी के जीवन का मुख्य सिद्धान्त सत्य और अहिंसा था। उन्होंने सत्य और अहिंसा के माध्यम से भारत के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन एवं देश का सही दिशा मे नेतृत्व किया।
महात्मा गांधी का जीवन परिचय-
बचपन एवं शिक्षा -
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो पोरबंदर रियासत के दीवान थे। उनकी माता का नाम पुतली बाई था। माता पुतलीबाई ने गांधी जी को बचपन से ही सत्य एवं धर्म की शिक्षा दी। वे 9 वर्ष की उम्र में राजकोट के स्थानीय स्कूल गये एवं 11 वर्ष की उम्र में हाईस्कूल में प्रवेश लिया। 13 वर्ष की उम्र में उनकी शादी कस्तूरबा गांधी से कर दी गई । जिससे एक साल उनकी शिक्षा बाधित रही। विवाह के दो साल बाद गांधी जी के पिता का निधन हो गया।
सन् 1887 में अहमदाबाद से हाईस्कूल शिक्षा पूर्ण कर 1888 में वकालत एवं उच्च शिक्षा के लिए लंदन की कॉलेज में प्रवेश लिया। 1891 में गांधी जी वकालत की शिक्षा पूर्ण कर भारत लोट आए।
23 वर्ष की उम्र में नौकरी के सिलसिले में गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। यहां उन्हें विभिन्न सम्सयाओं एवं नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा। एक बार गांधी जी ट्रेन से यात्रा कर रह थे तब उनके पास प्रथम श्रेणी के टिकिट होने के बावजूद भी उन्हे ट्रेन के प्रथम श्रेणी अपार्टमेन्ट से बाहर निकाल दिया था क्योकि प्रथम श्रेणी मे केवल गोरे लोग ही यात्रा कर सकते थे। भारतीय या अश्वेत लोगों को प्रथम श्रेणी में यात्रा करना प्रतिबंधित था। इस घटना से गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा एवं उनहोंने इस भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया।
सन् 1915 में दक्षिण अफ्रिका से भारत लोटने के बाद गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लिया। भारत की स्थिति को बारीकी से जानने के लिए गांधी जी ने भारत भ्रमण किया एवं सभी प्रदेशों के समस्याओं एवं स्तिथि को जाना।
महात्मा गांधी जी के प्रमुख आंदोलन –
- चम्पारण आंदोलन (1917) – गांधी जी ने पहला आंदोलन बिहार के चम्पारण में किसानों के समर्थन में किया। यहां अंग्रजों द्वारा किसानों पर दबाव बना कर उनसे नील की खेती कराई जाती थी। जिसका विरोध कर गांधी जी ने किसानों की समस्याओं का समाधान किया।
- खेड़ा आंदोलन (1918) – यह आंदोलन गांधी ने गुजरात के खेड़ा में अकाल पड़ने के कारण कर से परेशान किसानों के समर्थन में किया। गांधी जी ने किसानों को कर न देने को प्रेरित किया। उन्हें इस आंदोलन में सफलता मिली जिससे किसानों को उनके अधिकार प्राप्त हुये।
- असहयोग आंदोलन (1920-1922) – यह आंदोलन अंग्रेज शासन के खिलाफ गांधी जी द्वारा चलाया गया पहला बड़ा आंदोलन था। जिसमे जनता ने विदेशी वस्तुओं, सरकारी नौकरी, स्कूलों आदि का बहिष्कार किया एवं अहिंसक असहयोग आंदोलन किया। लेकिन चौरी-चौरा में हुई हिंसक घटना के कारण गांधी जी को यह आंदोलन रोकना पड़ा।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) – इस आंदोलन में गांधी जी ने नमक कानून तोड़ा और दांडी यात्रा कर अंग्रेज शासन के खिलाफ विरोध प्रर्दशन किया। गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को सबरमति आश्रम से दांडी यात्रा शुरू की और 6 अप्रैल 1930 को वहां पहुंच कर नमक बनाया ।
- भारत छोड़ो आंदोलन (1942) – यह आंदोलन 8 अगस्त 1942 को गांधी जी द्वारा शुरू किया गया एक महत्वपूर्ण आंदोलन था। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों को भारत छोड़ने को मजबूर करना था। आंदोलन में गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा देते हुए भारतीयों से यह अपील की कि भारत की स्वतंत्रता के लिए अंतिम एवं निर्णय पूर्ण संघर्ष करे। इस आंदोलन में सभी भारतीयों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। जिससे अंग्रेज शासन की नीव हिल गई। लेकिन अंग्रेजो के दमन कारी कठोर फैसलों के कारण स्वतंत्रता हासिल नहीं हो पायी।
- खिलाफत आंदोलन (1919-1924) – यह आंदोलन भारतीय मुसलमानों के अधिकरों के लिए किया गया था। जिसमें गांधी जी ने प्रमुख योगदान दिया एवं मुसलमानों के अधिकारों का समर्थन किया। इस आंदोलन को समर्थन करने से भारतीय हिन्दु-मुश्लिम में एकता मजबूत हुई।
15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान रहा , गांधी जी के नेतृत्व में किये गये आंदोलन से अंग्रेज शासन की नीव हिल गई। गांधी जी के सिद्धान्तों एवं सत्य अहिंसा की नीति से भारतीय समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
गांधी जी की मृत्यु -
गांधी जी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई थी। गांधी जी रोजाना की तरह शाम की प्रर्थना में जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने उन पर गोली चला दी । जिससे उनकी तत्काल मृत्यु हो गई। गांधी जी के अंतिम शब्द थे “हे राम” जो ईश्वर के प्रति उनके विश्वास को दर्शाता है ।
गांधी जी के विचार –
- गांधी जी सत्य को सर्वोपरि मानते थे। उनका कहना था “सत्य ही ईश्वर” हैं। गांधी जी के सभी कार्य सत्य पर आधारित थे।
- अहिंसा गांधी जी के विचारों में से प्रमुख विचार था । उनका मानना था कि हिंसा से कोई भी सम्सया का स्थाई समाधान नहीं किया जा सकता है। बल्कि अंहिसा से ही सच्ची स्वतंत्रता एवं शांति प्राप्त होती है।
- सत्याग्रह जिसका अर्थ है “सत्य के प्रति आग्रह” यह गांधी जी का राजनैतिक एवं सामाजिक सिद्धान्त था इसके माध्यम से गांधी जी ने भारत के विभिन्न समुदाय के लोगों को सत्य और अहिंसा के मार्ग के लिए प्रेरित किया।
- गांधी जी स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय लोगों को अपने अधिकारों एवं स्वराज के लिए प्रेरित करते थे। स्वराज का अर्थ – आत्मनिर्भरता एवं व्यक्तिगत आजादी। उनका मानना था कि सभी को आत्मसम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार है।
- गांधी जी ने हमेशा हिन्दु-मुस्लिम एकता का समर्थन किया उनका विचार था सभी धर्मो समुदायों के बीच सामप्रदायिकता की भावना बनी रहे।
- गांधी जी नैतिक शिक्षा एवं व्यक्ति के बौद्धिक विकास पर जोर दिया करते थे इससे व्यक्ति के जीवन से सामाजिक बुराईयों को दूर किया जा सकता है।
- गांधी जी छुआछूत, जातिबाद हिंसा जैसी सामाजिक बुराईयों के खिलाफ थे। वे सामाजिक समानता का समर्थन करते थे।
महात्मा गांधी जयंती उत्सव – गांधी जी की जयंती को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। गांधी जयंती 2 अक्टूबर को प्रत्येक स्कूलों, कॉलेजों एवं शासकीय दफ्तरों में उत्सव के रूप में मनाया जाता है एवं गांधी जी के स्वतंत्रता संग्राम मे योगदान एवं उनके विचारों सिद्धांतों को याद कर समाज को अच्छा संदेश दिया जाता है।
Accha Lekh aur Acchi Jankari 🙏🏻🙏🏻Lekhak ko mera Aabhar
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