नमस्कार दास्तों ! इस लेख में हम कम्प्यूटर क्या है। एवं कैसे कार्य करता है। इस पर विस्तार से चर्चा करेगे। आज के दैनिक जीवन में कम्प्यूटर का उपयोग हर क्षेत्र में हो रहा है। कम्प्यूटर के निरंतर विकास से प्रतिदिन नये नये कार्य क्षेत्रों का तेजी से विकास हो रहा है। वर्तमान में कम्प्यूटर का उपयोग विभिन्न क्षेत्रो में हो रहा है जैसे कि विज्ञान, व्यावसाय, चिकित्सा, शिक्षा, यातायात इत्यादि। कम्प्यूटर की सहायता से हम एक स्थान से दूसरे स्थान संदेश ईमेल या सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ ही क्षणों में भेज एवं प्राप्त कर सकते हैं। कम्प्यूटर का क्षेत्र अब सीमित न रहकर सभी क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल होने लगा है इसलिए वर्तमान युग को कम्प्यूटरीय युग कहा जाता है।
कम्प्यूटर क्या है
कंप्यूटर से तात्पर्य-
कम्प्यूटर यूजर द्वारा दिये गये निदेर्शों पर कार्य करने वाली स्वचालिक इलेकट्रॉनिक मशाीन है। जिसमें दिये गये निर्देशों (input) या डेटा को प्रोसेस (process) करके यूजर को सटीक परिणाम (output) देता है। यह अंकगणतीय एवं तार्किक क्रियाओं की गणना करती है एवं गणनाओं को करने में हमारी सहायता करती है। कम्प्यूटर शब्द लेटिन भाषा के Compute से बना है जिसका अर्थ है “गणना करना”।
कंप्यूटर की खोज 1822 में चार्ल्स बैबेज द्वारा की गयी थी। इसलिए कंप्यूटर का जनक एवं पिता चार्ल्स बैबेज को कहा जाता है।
कम्प्यूटर शब्द 8 शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ इसे और अधिक व्यापक बनाना है।
C – COMMENLY
O – OPERATED
M – MACHINE
P – PARTICULARLY
U – USED FOR
T – TECHNICAL
E – EDUCATION
R – RESEARCH
कम्प्यूटर के प्रमुख भाग-
1 इनपुट यूनिट (Input Unit)– यह कम्प्यूटर का वह भाग होता है। जो यूजर द्वारा दिये गये निर्देशों या डेटा को प्राप्त करता है। एवं कम्प्यूटर को निर्देशित करता है। इनपुट डिवाइस- जैसे कीवोर्ड , माउस, स्कैनर, बेवकैम, माइक्रोफोन इत्यादि।
2 आउट पुट यूनिट (Output Unit)– यह कम्प्यूटर वह भाग है जो इनपुट किये गये डेटा को प्रोसेसिंग के पश्चात यूजर को डेटा परिणाम भेजता है। आउटपुट डिवाइस- मॉनिटर, प्रिंटर, स्पीकर, प्रोजेक्टर इत्यादि।
3 मेमोरी यूनिट (Memory Unit)– यह कम्पयूटर का वह भाग है जहां कम्प्यूटर के सभी डेटा एवं निर्देशों को स्टोर किया जाता है। इसे कम्प्यूटर की संग्रहरण (स्टोरेज) क्षमता कहते है। मेमोरी यूनिट मुख्यत: दो प्रकार की होती है।
(1) प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory) – यह कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी है। जो कम्प्यूटर मे चल रहे प्रोग्राम को डेटा को स्टोर करती है एवं प्रोग्राम को या कम्प्यूटर को बंद करने पर इसमें स्टोर डेटा स्वत: ही मिट जाता है। इसलिए इसे अस्थाई मेमोरी भी कहा जाता है। उदारहरण- RAM.
2) सेकेन्डरी मेमोरी (Secondary Unit)- इस मेमोरी में स्टोर डेटा स्थायी रूप से स्टोर होता है जो कम्प्यूटर या प्रोग्राम के बन्द होने के बाद भी मेमोरी में स्टोर रहता है। इसे स्थायी मेमोरी भी कहा जाता है। उदारहरण- HDD, SDD.
4 ऑर्थेमेटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit)– यह कम्प्यूटर CPU का महत्वपूर्ण भाग होता है जो कम्प्यूटर हाडवेयर मे एक डिजीटल सक्रिट होता है ALU का मुख्य कार्य अंकगणतीय कार्य करना जैसे जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग एवं तार्किक क्रियाए करना। ALU इनपुट डेटा की प्रोसेस करके डेटा को आउटपुट देता है।
5 कन्ट्रोल यूनिट (Control Unit)– कन्ट्रोल यूनिट CPU का मुख्य भाग होता है यह यूजर द्वारा दिये गये डेटा या निर्देशो का संचालन एवं डेटा के साथ-साथ कम्प्यूटर के सभी काम्पोनेन्ट और यूनिट का निर्देशन एवं नियंत्रण करता है।
कम्प्यूटर की विशेषताएं-
- गति (Speed)– कम्प्यूटर की गति इतनी तेज होती है कि एक सेकण्ड में लाखों गणनाएं कर सकता है। कम्प्यूटर कुछ ही सेकण्ड में गुणा ,भाग, जोड़, घटाना जैसी लाखों क्रियाएँ कर सकता है। कम्प्यूटर की गति Gigahertz (GHz) और Megahertz (MHz) में मापी जाती है।
- शुद्धता (Accuracy)– कम्प्यूटर कठिन से कठिन निर्देशो का बिना किसी गलती के परिणाम देता है। कम्प्यूटर द्वारा दिये गये परिणाम 100 प्रतिशत सही रहते है। प्रोग्रामर द्वारा गलत परिणाम देने के कारण कभी-कभी कम्प्यूटर गलत परिणाम देता है। परन्तु कम्प्यूट द्वारा दिये गए परिणाम सदैव शुद्ध व सही होते है। कम्प्यूटर स्वयं कभी कोई गलती नही करता है।यदि आप 10 अलग-अलग संख्याओं का गुणा करें तो हो सकता है आपसे इसमें कई बार गलती हो सकती है। लेकिन कम्प्यूटर किसी भी प्रक्रिया को बिना गलती के पूर्ण करता है।
- 3. स्वचालित (Automatic)– कम्प्यूटर एक आटोमेटिक मशीन है। जिसमें डेटा इनपुट होने के पश्चात् मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता नही रहती है। कंप्यूटर स्वतः डेटा प्रोसेस कर यूजर को सही परिणाम देता है हांलाकि कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए निर्देश यूजर द्वारा ही दिये जाते है। लेकिन एक बार आदेंश दिये जाने के बाद पह वह बिना रूके कार्य कर सकता।
- 4. संग्रहण क्षमता (Storage Capacity)– कम्प्यूटर में प्रयुक्त प्रोग्राम एवं डेटा को संग्रहित करने के लिए उच्च संग्रहण क्षमता होती है। जो एक साथ कई प्रोग्रामों एवं डेटा को लोड कर सकता है। कम्प्यूटर मे स्टोर मेमोरी वर्षो बाद भी सुरक्षित रहती है। कम्प्यूटर अपने उच्च संग्रण क्षमता के कारण कोई भी कार्य तेजी से कर पाता है। कम्प्यूटर में दो प्रकार की मेमोरी का उपयोग होता है। 1. प्राइमरी मेमोरी 2. सेकेण्डरी मेमोरी ।
- विश्वासनीयता (Reliability)– कम्प्यूटर द्वारा दिये गये कार्य सभी विश्वासनीय होते है। कम्प्यूटर लगातार कई वर्षो तक कार्य कर सकता है। वह कभी थकता नहीं है। कम्प्यूटर एक भरोसेमंद मशीन है। इसलिए लोग आंखें बंद करके भी कम्प्यूटर पर विश्वास करते है। यही कारण है। कि बड़े कारखाने, बैकों में रेलवें में कम्प्यूटर का व्यापक रूप से प्रयोग होता है। कम्प्यूटर से प्रत्येक आउटपुट 100 प्रतिशत विश्वासनीय और भरोसेमंद होता है।
कम्प्यूटर के प्रकार-
कम्प्यूटर को उसके रूपरेखा कार्य क्षमता, एवं उपयोगों के आधार पर विभिन्न भागों में बाटां गया है।
1. आकार के आधार पर-
माइक्रो कम्प्यूटर-
ये कम्प्यूटर आकार में छोटे होते है जिसमें इन्हें टेवल पे आसानी से रखा जा सकता है। ये कम्प्यूटर फोन के आकार, पुस्तक के आकार एवं घड़ी के आकार में भी उपलब्ध है। इन कम्प्यूटर का मुख्यत: उपयोग व्यवसाय, चिकित्सा ,शिक्षा एवं व्यक्तिगत कार्यो के लिए किया जाता है। इन्हें पर्सनल कम्प्यूटर PC भी कहा जाता है। उदारहरण- लैपटॉप, डेस्कटॉप, टैवलेट एवं स्मार्टफोन आदि।
मिनी कम्प्यूटर-
यह कंप्यूटर मध्यम आकर के होते है। माइक्रो कंप्यूटर की तुलना में इन कंप्यूटर की कार्यक्षमता एवं कीमत अधिक होती है। मिनी कंप्यूटर पर एक या एक से अधिक व्यक्ति एक समय में विभिन कार्य साथ कर सकते है। इन कंप्यूटर का उपयोग छोटी या मध्यम स्तर की कंपनी में किया जाता है। इनकी गति 10 से 30 MIPS (MILLION INSTRUCTIONS PER SECOND) होती है। इसके उदाहरण – HP 9000, RISC 6000, BULL HN-DPX2 और AS 400 आदि है।
मेनफ्रेम कम्प्यूटर-
यह कम्प्यूटर आकार, कार्यक्षमता, गति एवं कीमत में माइक्रो तथा मिनी कम्प्यूटर से अधिक बड़े होते है। ये कम्प्यूटर डेटा लोड एवं प्रोसेस करने में अत्यंत तीव्र होते है। इनमें सामान्यत: 32 बिट या 64 बिट माइक्रो प्रोसेस का प्रयोग होता है। इस कम्प्यूटर पर एक साथ कई व्यक्ति विभिन्न कार्य एक साथ कर सकते हैं। मेनफ्रेम कम्प्यूटर को एकसेस करने के लिए उपयोगकर्ता नोड का प्रयोग करते हैं। इस कम्प्यूटर का अधिकतर उपयोग भुगतान का ब्यौरा रखने, बिल को भेजने, कर्मचारियों का भुगतान करने , उपभोगताओं द्वारा खरीदी वतुओं का ब्यौरा रखने आदि में किया जाता है। इसके उदाहरण- CRAY-1, CDS-CYBER, IBM 4381, ICL39, UNIVAC1110 आदि है।
सुपर कम्प्यूटर-
यह कम्प्यूटर सबसे शक्तिशाली कम्प्यूटर होता है। इसमें उच्च कार्यक्षमता, गति एवं उच्च संग्रहण क्षमता होता है। इसका आकार एक सामान्य कमरे के बराबर होता है। इस कम्प्यूटर के प्रोसेसर समानान्तर क्रम लगे में लगे होते हैं। इसमें मल्टी प्रोसेसिंग तथा समानान्तर प्रोसेसिंग का उपयोग होता है। समानान्तर प्रोसेसिंग में एक कार्य को प्रोसेसर कोर के माध्यम से अलग-अलग टुकड़ों में बाँट कर संपन्न करता है। इससे कम्प्यूटर की कार्य करने की शक्ति अतंत तीव्र होती है। विश्व का प्रथम सुपर कम्प्यूटर (CRAY-1) के रिसर्च कम्पनी द्वारा 1976 में विकसित किया गया था। भारत का प्रथम सुपर कम्प्यूटर परम (PARAM) 1990 में C-DAC के द्वारा विकसित किया गया। वर्तमान में भारत ने परम विकसित रूप PARAM -ISHAN तैयार कर लिया है। सुपर कम्प्यूटर का उपयोग मौसम की भविष्यवाणी करने, अंतरिक्ष अनुसंधान विज्ञान, भूगर्भीय सर्वेक्षण इत्यादि में किया जाता है।
2. कार्य के आधार पर –
एनालॉग कम्प्यूटर-
यह कम्प्यूटर दाब, तापमान, लम्बाई, पारा, आदि को मापने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह कम्प्यूटर मापन के पश्चात मात्रा को अंको मे प्रदर्शित करता है। इसकी गति अत्यंत धीमी होती है। अब यह कम्प्यूटर बहुत कम प्रचलन में है। इसका उपयोग विज्ञान एवं इंजीनियरिंग क्षेत्र में अधिक होता है। साधारण घड़ी वाहन की गति मीटर , वोल्ट मीटर, आदि एनालॉग कम्प्यूटर के उदाहरण है।
डिजीडल कम्प्यूटर-
यह कम्प्यूटर इलेक्ट्रॉनिक संकेतो पर कार्य करता है। इसमें गणना के लिए बाइनरी अंक पद्धति 0 से 1 का प्रयोग किया जाता है। वर्तमान में अधिकॉशत: डिजीटल कम्प्यूटरों का ही प्रयोग होता है। डिजीटल कम्प्यूटर व्यापर, शिक्षा, स्वास्थ, एनीमेशन इत्यादि मे उपयोग किया जाता है। इसके उदाहरण- डेस्कटॉप, लैपटॉप आदि।
हाइब्रिड कम्प्यूटर-
ये कम्प्यूटर एनालॉक एवं डिजीटल कम्प्यूटर का मिश्रित रूप होता है। इसलिए इन्हें हाइब्रिड कम्प्यूटर कहा जाता है। यह कम्प्यूटर भौतिक मात्राओं को अंको में परिवर्तित करके उन्हें डिजीटल रूप से प्रदर्शित करता है। इसका उपयोग अधिकांश चिकित्सा के क्षेत्र में होता है।
3. उद्देश्य के आधार पर-
सामान्य उद्देशीय कम्प्यूटर-
इन कम्प्यूटर का उपयोग सामान्य उद्देश्यों की पुर्ति के लिए किया जाता है। इन कम्प्यूटर से डेटावेस बनाना, टाइपिंग करना, दस्तावेज तैयार करना ,प्रिंट करना इत्यादि सामान्य कार्य किये जाते है।
विशिष्ट उद्देशीय कम्पयूटर-
इन कम्प्यूटर का उपयोग विशिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है। अंतरिक्ष विज्ञान, मौसम विज्ञान, उपग्रह संचालन, शोध इत्यादि में इन कंप्यूटरों का उपयोग किया जाता है। इस कम्प्यूटरों में उच्च कार्यक्षमता वाले CPU एवं तीव्र गति वाले स्टोरेज उपकरण प्रयोग होते है। जिससे ये कम्प्यूटर विशिष्ट कार्यो को सम्पन्न कर पाते है।